अभिनय सरस्वती का अलविदा: बी. सरोजा देवी (1938–2025) की याद में

 वो सितारा जो हमसे विदा हुआ: बी. सरोजा देवी की विरासत

14 जुलाई 2025 की सुबह भारतीय सिनेमा की एक चिरस्थायी दिवा, बी. सरोजा देवी, ने अपने 87 वर्ष की उम्र में मुंबई से लगभग 352 किमी दूर बेंगलुरु के मल्लेश्वरम स्थित निवास में अंतिम सांस को लिया । उम्र संबंधी बीमारियों से संघर्ष कर रही ये महान अभिनेत्री निदान अस्पताल ले जाते समय ही शांतिपूर्वक स्वर्गवास हो गया। 


परिचय

सरोजा देवी का जन्म 7 जनवरी 1938 में हुआ था। 17 वर्ष की उम्र में 1955 में कन्नड़ फ़िल्म 'महाकवि कालीदास' से सिनेमा में प्रवेश किया।  जो उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कारतक ले गया। इसके बाद 1957-58 के दशक में उन्होंने तेलुगू में 'पांडुरंगा महात्यम', और फिर 'नदोदी मनन' (1958) जैसी तमिल फिल्मों में भी अपना लोहा मनवाया

निजी जीवन:एक संतुलित और प्रेरणादायक  जीवन 

श्री हर्षा 1967 में  विवाह के बाद भी सरोजा देवी ने सिनेमा छोड़ने की बजाय Active रूप से  योगदान जारी रखा और 1986 में पति श्री हर्षा  के निधन के बाद उन्होंने कई फिल्में पूरी कीं और अंतिम स्वरूप में फिल्मो से दुरी बना ली ।

श्रद्धांजलि एवं संवेदनाये 

इस दुखद खबर को सुनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें “भारतीय सिनेमा एवं संस्कृति की आदर्श अभिव्यक्ति” बताया, और कहा कि वे एक “पिलर ऑफ़ इंडियन सिनेमा” थीं।  उनका जीवन भारत  के संस्कृति को एक नयी दिशा दिया। 
कर्नाटक मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा की उनका अभिनय सिनेमा को एक नयी दिशा दिया। 


वह नहीं रही, पर उसका प्रभाव कायम है .

उन्होंने न केवल अभिनेया की सीमाएँ पार कीं, बल्कि महिलाओं के लिए नेतृत्व भूमिकाएँ स्थापित कीं।
उनके किरदार इतिहास, पौराणिक और सामाजिक कहानियों में आज भी जीवंत हैं—जैसे ‘Kittooru Rani Chennamma’, ‘Babruvahana’ इत्यादि .अभिनय, शालीनता, शैली व सादगी ने उन्हें सदाबहार प्रेरणा बना दिया। लॉयल फैन्स और सिनेमा जगत उनकी यादों से जुड़े रहेंगे।



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