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मधन बॉब की आखिरी मुस्कान… क्या आप जानते हैं पर्दे के पीछे की अनकही बातें?

 तमिल सिनेमा में हंसी का दूसरा नाम थे मधन बॉब। उनकी आंखों की चमक, चेहरे की मासूमियत और वो दिल खोलकर हंसना—जैसे स्क्रीन पर जादू बिखेर देता था। 2 अगस्त 2025 को यह जादू हमेशा के लिए थम गया, लेकिन उनकी मुस्कान आज भी लाखों दिलों में ज़िंदा है।




बचपन से मंच तक का सफर

मधन बॉब का असली नाम था एस. कृष्णामूर्ति। बचपन में उन्हें संगीत से इतना लगाव था कि उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ कर्नाटक और वेस्टर्न क्लासिकल संगीत की शिक्षा ली। कम ही लोग जानते हैं कि वे कभी ए.आर. रहमान के शुरुआती गुरु भी रहे। संगीत की समझ ने ही उन्हें अभिनय में भी खास पहचान दिलाई।

पर्दे पर हंसी का सम्राट

90 और 2000 के दशक में तमिल फिल्मों के दर्शकों ने उन्हें बार-बार देखा—

  • Thenali में डायमंड बाबू

  • Friends में मैनेजर सुंदरासन

  • Poove Unakkaga और Chandramukhi जैसे हिट्स

हर फिल्म में उनका हंसाने का अंदाज़ इतना सहज और सच्चा था कि लोग भूल जाते थे यह एक्टिंग है। इसी वजह से उन्हें प्यार से कहा जाने लगा—“पुन्नगई मन्नन” (मुस्कान का राजा)।

टीवी पर भी बने दर्शकों के चहेते

फिल्मों के साथ-साथ उन्होंने टीवी पर भी धूम मचाई। असथा पोवथु यारु? शो में बतौर जज उनकी उपस्थिति दर्शकों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं थी। उनकी हंसी और सादगी ने घर-घर में उन्हें अपना बना लिया।

पर्दे के पीछे की बातें

  • मधन बॉब कभी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव और सेल्स ऑफिसर की नौकरी कर चुके थे।

  • उन्हें हमेशा विश्वास था कि कला इंसान को अमर बना देती है।

  • शूटिंग सेट पर उनका सबसे बड़ा नियम था: “कभी किसी को उदास मत छोड़ो।”

यही वजह है कि उनके जाने के बाद भी लोग उनके बारे में कहते हैं—“वो सिर्फ हंसी नहीं, खुशी छोड़कर गए हैं।”

उनके साथ काम करने वाले कई कलाकारों का कहना है कि बीमारी के दिनों में भी मधन बॉब ने हंसना बंद नहीं किया। उनके चेहरे की वही मुस्कान उनकी असली पहचान बन गई, जो आज भी उनके चाहने वालों की आंखें नम और दिल हल्का कर देती है

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